राजनीती (सच बोलें तो दुर्जननीती) शास्त्र प्रथम अध्यायं - फ़ूट डालो राज करो
फ़ूट कैसे डाली जाये?
एक ही जाति के हों तो - सबसे आसान काम, जो जाति के लीडर बने घूमते हों उन पर "एक पार्टी के हों तो ?" वाला फ़ोर्मूला लगाओ, या लीडर्स के ऐसे विरोधी पकडों जो पइसा और नाम के लिए मरने मारने पर उतारू हों (अगर नहीं हों, तो कर दो), इन मूर्खों का समुचित प्रयोग करो और कई गुट बना दो, मीडिया को काम में लेना मत भूलो, कसम कुर्सी की इतने गुट और ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
एक ही धर्म के हों तो - तेरी जाति मेरी जाति उसकी जाति, टिकट लेगा? आरक्षण लेगा? मीडिया को पैसा खिलाओ, कुछ स्वय़ंसिद्ध विद्वान पकडो, उनसे मानव इतिहास के प्राचीनतम ग्रंथों पर मिट्टी डालने को बोलो, कसम कुर्सी की ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
अलग अलग धर्म के हों तो - उनके ऐसे तथाकथित विद्वान और धर्मगुरू पकडो जिन्हें नाम कमाने की भूख तो हो पर ऐसी कोई काबिलियत नहीं हो, मैनेजमेंट के फ़ोर्मूले लगाओ और इनके कंधे पर रखकर बन्दूक क्या तोप चलाओ, ऐसे लोग दुसरे धर्म को मिथक बोलने, गाहे बगाहे आंदोलनों के समय, या अच्छी भली State governments पर कीचड उछालने और अपने चेलों को बोलकर झूठे हलफ़नामे देलवाने में बहुत काम आते हैं, मौका मिलते ही दंगे करवाओ और नाम बेचारे विश्व कल्याण की कामना करने वालों पर डाल दो, हां पर मत भूलो कि अभी भी ब्रह्मास्त्र चलाना है - मीडिया को पैसा खिलाओ, बकबक करवा के जनता के दिमाग में जो चाहो वो भरने की कोशिश जारी रखो, कसम कुर्सी की ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
एक ही पार्टी के हों तो - इंटेलीजेंस वालों को पीछे लगाओ, अपने बाप बदलने वालों की और महासत्कर्मियों की लिस्ट और CD बनाओ, जब जरूरत हो तो पइसा या CD दिखाकर या जाति या कोई पद दिखाकर उससे खुद को बाप घोषित करवाओ, कसम कुर्सी की उस पार्टी में ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
बीच बीच में कुछ् खच्चर पकडो, उनसे फ़र्जी रिपोर्टें बनवाओ, मीडिया में देश भर को भरमाने वाले उद्गार दिलवाओ, एक आध सांप अपनी पार्टी में टोप पोजिशन पर भी रखो जो पालतू मीडिया में मौके बेमौके फ़ुफ़कारते रहें, चित मेरी तो ठीक वरना वो फ़ुंफ़कार सांप के निजि विचार थे ऐसा बोलो और पट को खुद का कर लो, महामनुष्य महामनुष्य खेलो, अपने महामनुष्य विरोधी राज्यों में भेजो, ये महामानव ना केवल उंगली करने (नाक में) के काम आते हैं वरन् ये प्राणी अच्छे जासूस भी साबित होते हैं, खुद के लोग और विरोधी लोगों का रूदन, विलाप, प्रलाप, चीत्कार, सीत्कार, चाहे कोई सी भी कार हो तुरंत आप तक खबर पहुचा देते हैं और आदेश की प्रतीक्षा में रहते हैं कि अब उंगली कैसे और कब करनी है (पुनश्च: नाक में). ब्रह्मास्त्र काम में लेना मता भूलो, मीडिया द्वारा अपने पाखंड सही साबित करते रहो, कसम कुर्सी की देश भर का दिमाग ऐसा फ़िरेगा कि ठिकाने आने का नाम ही नहीं लेगा.
फ़ूट अध्याय पूरा नहीं किया जा सकता, लेखक का गिलास खाली हो गया है. हां अगर कोई राजनीतिक पार्टी पूरा अध्याय चाहती है तो दक्षिणा की राशि के साथ संपर्क कर सकती है ... ;)
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फ़ूट कैसे डाली जाये?
एक ही जाति के हों तो - सबसे आसान काम, जो जाति के लीडर बने घूमते हों उन पर "एक पार्टी के हों तो ?" वाला फ़ोर्मूला लगाओ, या लीडर्स के ऐसे विरोधी पकडों जो पइसा और नाम के लिए मरने मारने पर उतारू हों (अगर नहीं हों, तो कर दो), इन मूर्खों का समुचित प्रयोग करो और कई गुट बना दो, मीडिया को काम में लेना मत भूलो, कसम कुर्सी की इतने गुट और ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
एक ही धर्म के हों तो - तेरी जाति मेरी जाति उसकी जाति, टिकट लेगा? आरक्षण लेगा? मीडिया को पैसा खिलाओ, कुछ स्वय़ंसिद्ध विद्वान पकडो, उनसे मानव इतिहास के प्राचीनतम ग्रंथों पर मिट्टी डालने को बोलो, कसम कुर्सी की ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
अलग अलग धर्म के हों तो - उनके ऐसे तथाकथित विद्वान और धर्मगुरू पकडो जिन्हें नाम कमाने की भूख तो हो पर ऐसी कोई काबिलियत नहीं हो, मैनेजमेंट के फ़ोर्मूले लगाओ और इनके कंधे पर रखकर बन्दूक क्या तोप चलाओ, ऐसे लोग दुसरे धर्म को मिथक बोलने, गाहे बगाहे आंदोलनों के समय, या अच्छी भली State governments पर कीचड उछालने और अपने चेलों को बोलकर झूठे हलफ़नामे देलवाने में बहुत काम आते हैं, मौका मिलते ही दंगे करवाओ और नाम बेचारे विश्व कल्याण की कामना करने वालों पर डाल दो, हां पर मत भूलो कि अभी भी ब्रह्मास्त्र चलाना है - मीडिया को पैसा खिलाओ, बकबक करवा के जनता के दिमाग में जो चाहो वो भरने की कोशिश जारी रखो, कसम कुर्सी की ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
एक ही पार्टी के हों तो - इंटेलीजेंस वालों को पीछे लगाओ, अपने बाप बदलने वालों की और महासत्कर्मियों की लिस्ट और CD बनाओ, जब जरूरत हो तो पइसा या CD दिखाकर या जाति या कोई पद दिखाकर उससे खुद को बाप घोषित करवाओ, कसम कुर्सी की उस पार्टी में ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.
बीच बीच में कुछ् खच्चर पकडो, उनसे फ़र्जी रिपोर्टें बनवाओ, मीडिया में देश भर को भरमाने वाले उद्गार दिलवाओ, एक आध सांप अपनी पार्टी में टोप पोजिशन पर भी रखो जो पालतू मीडिया में मौके बेमौके फ़ुफ़कारते रहें, चित मेरी तो ठीक वरना वो फ़ुंफ़कार सांप के निजि विचार थे ऐसा बोलो और पट को खुद का कर लो, महामनुष्य महामनुष्य खेलो, अपने महामनुष्य विरोधी राज्यों में भेजो, ये महामानव ना केवल उंगली करने (नाक में) के काम आते हैं वरन् ये प्राणी अच्छे जासूस भी साबित होते हैं, खुद के लोग और विरोधी लोगों का रूदन, विलाप, प्रलाप, चीत्कार, सीत्कार, चाहे कोई सी भी कार हो तुरंत आप तक खबर पहुचा देते हैं और आदेश की प्रतीक्षा में रहते हैं कि अब उंगली कैसे और कब करनी है (पुनश्च: नाक में). ब्रह्मास्त्र काम में लेना मता भूलो, मीडिया द्वारा अपने पाखंड सही साबित करते रहो, कसम कुर्सी की देश भर का दिमाग ऐसा फ़िरेगा कि ठिकाने आने का नाम ही नहीं लेगा.
फ़ूट अध्याय पूरा नहीं किया जा सकता, लेखक का गिलास खाली हो गया है. हां अगर कोई राजनीतिक पार्टी पूरा अध्याय चाहती है तो दक्षिणा की राशि के साथ संपर्क कर सकती है ... ;)
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