अक्तूबर 19, 2011

राजनीती शास्त्र - फ़ूट अध्यायं

राजनीती (सच बोलें तो दुर्जननीती) शास्त्र प्रथम अध्यायं - फ़ूट डालो राज करो

फ़ूट कैसे डाली जाये?



एक ही जाति के हों तो - सबसे आसान काम, जो जाति के लीडर बने घूमते हों उन पर "एक पार्टी के हों तो ?" वाला फ़ोर्मूला लगाओ, या लीडर्स के ऐसे विरोधी पकडों जो पइसा और नाम के लिए मरने मारने पर उतारू हों (अगर नहीं हों, तो कर दो), इन मूर्खों का समुचित प्रयोग करो और कई गुट बना दो, मीडिया को काम में लेना मत भूलो, कसम कुर्सी की इतने गुट और ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.


एक ही धर्म के हों तो - तेरी जाति मेरी जाति उसकी जाति, टिकट लेगा? आरक्षण लेगा? मीडिया को पैसा खिलाओ, कुछ स्वय़ंसिद्ध विद्वान पकडो, उनसे मानव इतिहास के प्राचीनतम ग्रंथों पर मिट्टी डालने को बोलो, कसम कुर्सी की ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.

अलग अलग धर्म के हों तो - उनके ऐसे तथाकथित विद्वान और धर्मगुरू पकडो जिन्हें नाम कमाने की भूख तो हो पर ऐसी कोई काबिलियत नहीं हो, मैनेजमेंट के फ़ोर्मूले लगाओ और इनके कंधे पर रखकर बन्दूक क्या तोप चलाओ, ऐसे लोग दुसरे धर्म को मिथक बोलने, गाहे बगाहे आंदोलनों के समय, या अच्छी भली State governments पर कीचड उछालने और अपने चेलों को बोलकर झूठे हलफ़नामे देलवाने में बहुत काम आते हैं, मौका मिलते ही दंगे करवाओ और नाम बेचारे विश्व कल्याण की‌ कामना करने वालों पर डाल दो, हां पर मत भूलो कि अभी भी ब्रह्मास्त्र चलाना है - मीडिया को पैसा खिलाओ, बकबक करवा के जनता के दिमाग में जो चाहो वो भरने की कोशिश जारी रखो, कसम कुर्सी की ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.

एक ही पार्टी के हों तो - इंटेलीजेंस वालों को पीछे लगाओ, अपने बाप बदलने वालों की और महासत्कर्मियों की लिस्ट और CD बनाओ, जब जरूरत हो तो पइसा या CD दिखाकर या जाति या कोई पद दिखाकर उससे खुद को बाप घोषित करवाओ, कसम कुर्सी की उस पार्टी में ऐसी गहरी खाई बनेगी कि भरने का नाम ही नहीं लेगी.

बीच बीच में कुछ् खच्चर पकडो, उनसे फ़र्जी रिपोर्टें बनवाओ, मीडिया में देश भर को भरमाने वाले उद्गार दिलवाओ, एक आध सांप अपनी पार्टी में टोप पोजिशन पर भी रखो जो पालतू मीडिया में मौके बेमौके फ़ुफ़कारते रहें, चित मेरी तो ठीक वरना वो फ़ुंफ़कार सांप के निजि विचार थे ऐसा बोलो और पट को खुद का कर लो, महामनुष्य महामनुष्य खेलो, अपने महामनुष्य विरोधी राज्यों में भेजो, ये महामानव ना केवल उंगली करने (नाक में) के काम आते हैं वरन् ये प्राणी अच्छे जासूस भी साबित होते हैं, खुद के लोग और विरोधी लोगों का रूदन, विलाप, प्रलाप, चीत्कार, सीत्कार, चाहे कोई सी भी कार हो तुरंत आप तक खबर पहुचा देते हैं और आदेश की‌ प्रतीक्षा में रहते हैं कि अब उंगली कैसे और कब करनी है (पुनश्च: नाक में). ब्रह्मास्त्र काम में लेना मता भूलो, मीडिया द्वारा अपने पाखंड सही साबित करते रहो, कसम कुर्सी की देश भर का दिमाग ऐसा फ़िरेगा कि ठिकाने आने का नाम ही नहीं लेगा.

फ़ूट अध्याय पूरा नहीं किया जा सकता, लेखक का गिलास खाली हो गया है. हां अगर कोई राजनीतिक पार्टी पूरा अध्याय चाहती है तो दक्षिणा की राशि के साथ संपर्क कर सकती है ... ;)

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गृह मंत्रालय की हेल्पलाइन


रिंग रिंग ...
ring ring ...
नमस्कार, गृह मंत्रालय के बम धमाका हेल्प लाइन में आपका स्वागत है.

अभी ताजे ताजे हुए धमाकों की जानकारी के लिए एक दबाएँ
धमाकों पर गृह मंत्री के प्री रेकॉर्डेड सदाबहार बयानों के लिए 2 दबाएँ
धमाकों पर प्रधान मंत्री की निंदा और कड़े कदम उठाने के बयानों के लिए 3 दबाएँ
धमाकों पर प्रधानमंत्री के और ज्यादा कड़े कदमों के बयान के लिए 4 दबाएँ
किसी ने धमाकों की जिम्मेदारी ली या नहीं ये जानने के लिए 5 दबाएँ
धमाकों पर दिग्विजय सिंह के RSS का हाथ है वाले बयान के लिए 6 दबाएँ
गलती से अगर कोइ आतंकी पकड़ा गया है और उसे कोंग्रेस सरकारी दामाद बनाने जा रही है तो उसका नाम जानने के लिए 7 दबाएँ
आतंकी का कोइ धर्म नहीं होता जैसे बयानों के लिए 8 दबाएँ
अगर आपका कोइ अपना इन धमाकों में मारा गया है तो गांधी जी की रामधुन सुनाने के लिए 9 दबाएँ
पिछले मेनू है ही नहीं, इसलिए ये मेनू फिर से सुनने के लिए 0 दबाएँ
और अगर आप खुद धमाके का शिकार हुए हैं, और अभी तक जिन्दा हैं तो अपना गला दबाएँ

कॉल करने के लिए धन्यवाद, केन्द्र सरकार के बचे हुए साल आपको लिए शुभ हों ...
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सर जी और उनकी जरूरतें !!!


Smile
जरूरत है जरूरत है जरूरत है ... सर जी गाना गा रहे थे. मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया किसकी जरूरत है सर जी? हिम्मत करके इसलिए क्योंकि सर जी को कोइ सुझाव देता है या प्रश्न पूछता है तो या तो अपने साझीदार भाई के गुंडों से आधी रात को ठुकवा देते हैं या उठवा के २-४ दिन ना जाने कहाँ बंद रखते है. अगर कभी (साल दो साल में एक आध बार) जवाब देने का मन भी हुआ तो बोल देते हैं सब ठीक है, हम करेंगे, हमें करना चाहिए ... और ये बोल के मुस्कुराना नहीं भूलते !

खैर जब मैंने पूछ ही लिया और पूछने के बाद दायें बाएं देखा कि सर जी का कोइ गुंडा तो नहीं आ रहा है मारने के लिए कि तूने हफ्ता टैक्स नहीं दिया ला दिखा तेरे सारे डोक्युमेन्ट्स ... पर कमाल ... कोइ गुंडा नहीं आया बल्कि सर जी खुद बोले देखो मोहल्ले में ये बाहर के पड़ोसी मोहल्ले के बदमाश आ के धमाके वगेरह कर जाते हैं, इसलिए ...
तभी सर जी का एक चमचा सर जी की बात काटते हुए बोला जाने दो सर जी अब तो इन मोहल्ले वालों को धमाके की आदत पड़ गयी है, इनका तो काम ही हमें चुन कर मरना है, फालतू में यूँ ही चिल्ल पों मचा रखी है. क्यों बे पता नहीं क्या तुम्हे ? क्या आज या कल पहली बार हो रहे है क्या धमाके? चल ...
और इससे पहले कि वो अपने डोगी मुझ पर छोडता सर जी उसकी बात काटते हुए बोले, इसलिए हमें मोहल्ले की सुरक्षा और मजबूत करनी होगी, सेक्युरिटी बढानी होगी, और देखना होगा कि हमारे मोहल्ले के युवकों में (जो कि मौका मिलने पर आपस में झगड पड़ते हैं) समझ आये कि मोहल्ला सबका है और हमें पड़ोसी मोहल्ले वालों से बच के रहना है. हमें इन सब चीजों की बहुत सख्त जरूरत है.

कसम वीकेंड की दिमाग घूम गया, में बोला पर सर जी मोहल्ले के सारे लोगों ने आपको ही तो मोहल्ला प्रधान चुना हुआ है, आपसे पहले आपके चाचा थे उनसे पहले आपके दादा थे ... ये मोहल्ला तो मानो आपकी जागीर ही है, आपके पास सारा उगाही का पैसा आता है. आपने बोला था कि मोहल्ले के रास्तों पर गेट लगाएंगे, सिक्यूरिटी लगाएंगे, सी.सी.टी.वी. लगाएंगे वगेरह वगेरह ... पर ना तो कोइ गेट लगा, ना कैमरा और ... पर आपके खास लोगों ने जरूर अपने अपने मकानों पर नयी मंजिलें बनवाई और पेंट करवाया, गेट पर कुत्ते भी बांधे रखते हैं कि कोइ अंदर झाँक भी ना पाए !! और पहले आप ही मोहल्ले के युवकों को भरमा चुके हैं कि मोहल्ले पर पहला हक ये राईट साइड के चार घर और लेफ्ट साइड के तीन घरों का है. मोहल्ले के युवकों का क्या सबका दिमाग तो आपने और आपके पूर्वजों का लोगों को बांटने की राजनीती से खराब किया हुआ है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कनाफ्युजिया के और अपने अपने डर के मारे आपको ही बार बार चुनते रहें.

क्या बोल रहा है ? सर जी बोले इस नाजुक टाइम में तू लोगों को बांटने की राजनीती कर रहा है! चुनाव में खडा होगा क्या? ये सुन कर सर जी के चमचे जो इतनी देर से मन ही मन कुढ़ीया रहे थे ठठा कर हंस पड़े और बोलने लगे हाँ हाँ तू अबके चुनाब लड़ लियो तब देखेंगे तेरा काला सफ़ेद धन और तेरी सफ़ेद टोपी ...

सर जी फिर बोले (आज तो कमाल कर दिया, क्यूंकि सर जी बोलते कम ही हैं) देखो हम कमजोर तो है पर हम हार नहीं मारेंगे, हम कमजोर नहीं है ????? हमें ये जरूरत है हमें वो जरूरत है.
मेरी खोपड़ी इतना तनाव और बेतुकी बातें झेलने के लिए प्रोग्राम्ड नहीं है सो मैं तन्ना के फिर से सर जी को राय दे बैठा कि सर जी अगर आप सभी घरों के बच्चों को स्कूल जाने देते तो आज सारा मोहल्ला एक होता हाँ पर फिर ये होता कि प्रधान आप नहीं होते, अभी तो सारा मोहल्ला आपका, सारा फंड आपका, लोग अभी तक तो आपका कहना भी मान रहे हैं भले ही किसी का धमाके में हाथ उड़ गया और किसी का पैर या कोइ बेचारा एक जून की रोटी ही खा पा रहा है, सारी ताकत आपके हाथ में है अगर आपको जरूरत है तो आप करो ना किसने रोका है? क्या अब इसके लिए भी आपको इटालियन में समझाऊं क्या?

ये सुनते ही सर जी कि मुखमुद्रा बदल गयी और उनका इशारा पाते ही उनके चमचों ने अपने अपने पकडे हुए डोगी और गुंडों को मेरी और इशारा कर दिया ...

सपने भी ना ... नींद में भी मेरी हार्टबीट बढ़ चुकी थी, भला हो श्रीमती जी का जिन्होनें क्रोध के साथ मुझे जगा दिया और १० मिनट में सब्जी लाने का अल्टीमेटम दे डाला...

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अक्तूबर 16, 2011

असली खतरा किससे?

चलिए बहुत थोड़े में भारत के एक ताकतवर पड़ोसी पर नजर डालते हैं कि वो आजकल क्या कर रहा है?

चीन - रूस सम्बन्ध - Strategic Partenership (ना तो तू मेरे से पंगा लेगा और ना मैं तेरे से)
चीन - पाक सम्बन्ध - सबको पता है, चीन पाक का नया माई बाप है और अमेरिका पुराना
चीन - अफ्रीका - ब्रिक - कोशिशें जारी है कि इसे और औपचारिक शक्ती बनायें जो कि विश्व को ढालने में सहायक हो (यांग के शब्द). अफ्रीका में चीन ने हजारों किलोमीटर की रेल और सड़क निर्माण में सहायता की है.

आगे बताने से पहले ASEAN में देखें कौन कौन है -

ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया , म्यांमार, फ़िलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और विएतनाम

चीन - ASEAN - FTA प्रभावी, अब आगे आसियान, चीन, साऊथ कोरिया और जापान का मुक्त व्यापार प्रस्तावित

प्रेस को कितनी आजादी है ये शायद इस विडियो से समझ में आ जायगा जिसमें शंघाई पुलिस विरोध प्रदर्शन के
विडियो बनाने से रोकने के लिए विदेशी मीडियाकर्मियों से कैसे पेश आती है, देशी तो वैसे ही उनका साथ देते हैं -

http://www.bbc.co.uk/news/world-asia-pacific-12666701

लिंक पर ना जाएँ तो खुद बी.बी.सी. के कर्मी के शब्दों में -

I was dragged by the hair . . . then slammed to the floor . . . had my leg crushed at the vehicle’s door.

चीन Xinxiang में हुए दंगों के पीछे कोइ राजनीती नहीं करता और सीधे सीधे मुस्लिम अतिवादियों का हाथ बताता है, चीनी पुलिस संदेह के आधार पर भी लोगों को गोली मारती है और किसी भी दानवाधिकार आयोग जैसा अजगर उसने नहीं पाल रखा है. साथ ही साथ चीन पाक को भी कड़े शब्दों में समझा देता है कि लश्कर की और पाक की उइगुर आतंकियों को किसी भी तरह की मदद पाक के लिए निश्चित रूप से घाटे का सौदा होगी.

चीन पाक को सहायता और निर्देश देता है कि भारत को कैसे उलझाए हुए रखे, उसने हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के साथ युद्ध की पूरी तैयारी कर रखी है, सीमा पर आणविक मिसाइलें तैनात कर रखे है और अभी कुछ समय पहले पाक सेना के साथ भारतीय सीमा पर युद्धाभ्यास किया था.

ये सब जो भी भारत के चारों और हो रहा है उसकी भारत की नीतियों और भारत के कोइ समस्या पर एक्शन से तुलना करें. प्रश्न ये है कि क्या UPA-2 भारत को पूर्णतया बर्बाद किये बिना देश को अपनी गुलामी से मुक्त कर देगा?

IAF chief वैसे भी सच सच बोल ही चुके हैं, सरकार को बताया जाता है कि ब्रह्मपुत्र पर चीन जो बाँध बना रहा है और कुछ समय बाद वो इसकी धारा भी मोड़ेगा जिससे भारत का हजारों वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र सूखा हो जाएगा तो हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि ब्रह्मपुत्र पर चीन के बाँध से हमें खतरा नहीं ??? क्या अब आगे वो बताएँगे कि "हमें" असली खतरा तो बाबा और अन्ना से है?


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अक्तूबर 15, 2011

भारत पाकिस्तान से डरता है, और भारतीय जनता ?

एक कहावत है - आपकी रूचि राजनीती में हो या ना हो, राजनीती की रूचि आपमें हमेशा होती है|

पिछले कुछ सालों में जो कुछ भी भारत में हो रहा है, उससे आम आदमी अपने आप को नीति नियंताओं के कारण ठगा हुआ महसूस कर रहा है और UPA-2 के कार्यकाल में उसकी ये लाचारी बढती ही जा रही है|

नीचे जो में लिख रहा हूँ वो विकिलीक्स के कुछ पुराने केबल है, जो कि आप - हम सभी जानते हैं कि भारत सरकार के वक्तव्यों से ज्यादा विश्वसनीय हैं, इन्हें आज यहाँ लिखना और भी ज्यादा प्रासंगिक है| पढ़िए और समझिए क्यों -

केबल 1.

भारत, पाकिस्तान से डरता है - अमेरिका

नई दिल्ली से वाशिंगटन भेजी 3038 केबल्स उजागर करती हैं कि भारत, 2008 के मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान पर किसी प्रकार के एक्शन का अनिच्छुक था.

टिमोथी रोमर का माना था कि भारतीय सेनाएं प्राम्भिक बढ़त के बावजूद धीमी रसद और मूवमेंट की परेशानियों की समस्या से रूबरू हो सकती थी|

केबल 2.

यू. एस. ने कभी भी भारतीय एक विमीय विचार कि तालिबान अंधेरी ताकतें है को साझा नहीं किया|

(झटका लगा? पर ये सच है और ये भारतीय विदेश नीती की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक है)

केबल 3.

भारत में आतंकवादी को दण्डित नहीं किया जा सकता

(आप और हम सभी देख ही रहें हैं कि आतंकवादी मदनी का बंगलोर के 5 सितारा आयुर्वेद चिकित्सालयों में इलाज़ होता है, अफजल को कैसे बचाया जाता है और कसाब ... ना ही पूछो)

केबल 4.

कोंग्रेस ने मुम्बई हमलों के बाद धार्मिक राजनीती कि थी.

(शुरुआत हुई A R Antulay के बयानों से जिसमें उन्होंने कहा कि - Hindutva forces may have been involved in the Mumbai terror attacks, कोंग्रेस ने दो दिन तक इस बयान से दूरी बनाए राखी और फिर एक विरोधाभाषी बयान जारी किया, जिससे परोक्ष रूप से इस षडयंत्र को समर्थन मिलता था)

केबल जारी - इस सारे घटनाक्रम ने दर्शाया कि ये पार्टी जाती-धर्म आधारित राजनीती सहर्ष करने को तैयार है अगर वो इसके हित में हो - मलफोर्ड

केबल 5.

ISI ने भारत में आतंकी हमलों को अनुमती / सहमती दी

ने आतंकवादियों को भारत के अंदर जाने और पाक सेना द्वारा चुने हुए लक्ष्यों पर हमले कि अनुमती दी|


अब सवाल ये है कि मैंने ये केबल ही क्यों चुने? जवाब साफ़ है, इन सभी केबल्स को हालिया घोटालों, और सारे सरकारी तंत्र द्वारा भ्रष्ट लोगों को हर तरीके से बचाने कि कोशिशों की रोशनी में देखें|, आपको उत्तर मिलेगा - क्या आपको लोकपाल बिल मिला? जी नहीं, अन्ना को, आप को और हम सभी को सिर्फ धोखा मिला| क्या काला धन वापस लाने की मांग मानने के बाद भी आज इतने समय के बाद में भी कोइ कार्यवाही हुई? बिलकुल नहीं, सिवाय बाबा और उनके समर्थकों को डंडे मार मार के भगाने के सिवा इस सरकार ने काले धन से जुड़े मुद्दे या लोगों पर कोइ कार्यवाही नहीं की| क्या ये केबल हमें नहीं बताती / इशारा करती कि क्यों नहीं हुआ वो सब जो होना चाहिए था? कहाँ लगा है सारा का सारा तंत्र और इसकी ऊर्जा?

अब अलविदा कहने से पहले अंतिम केबल -

केबल 6.

थोड़ा और पीछे - अपनी सरकार बचाने के लिए केन्द्र में सत्ताधारी पार्टी MPs को खरीदने के लिए करोड़ों और जेट विमान ले कर तैयार थी|

(सतीश शर्मा - पोलिटिकल काउंसलर - अकाली दल (8 वोट) - एन.आर.आई. संत चटवाल याद है या भूल गए? इसमें पी.एम. का नाम भी आया था)

मेरा उद्देश्य राजनीती नहीं है, सिर्फ कुछ चीजें याद दिलाना है पर जैसा कि कहा जाता है - आपकी रूचि राजनीति में हो या ना हो ...


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