अप्रैल 24, 2012

भारत सरकार बनाम माइनो परिवार का रामू काका

google जिसका आइडिया दो डेवलपर्स को स्टेनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोजेक्ट पे काम करते समय 96 में आया जिसे NSF फ़ंड दे रहा था ( यही सारी फ़ेडरल एजेंसीज को फ़ंड देता है, और ध्यान रहे आज उसके पास आपकी सभी सूचनाओं का एक विशाल डेटाबेस है), शुरूआत में google google.stanford.edu पर पाया जाता था।

1997 में google.com डोमेन रजिस्टर करवाया गया और 1998 में एक मित्र के गैराज से Google Inc. शुरू की गई।

तब से लेकर अब तक ये एक बैकबोन बन चुकी है, ये आपके बारे में लगभग सभी सूचनायें रखती है, आपके मेल्स, आपके द्वारा विजिटेड साइट्स से लेकर आपके और आपके सर्किल के लोगों के नाम, नंबर, etc. etc.

गूगल और फ़ेसबुक जैसी साइट्स पे उपलब्ध सूचनायें फ़ेडरल एजेंसीज के साथ साझा की जाती है। खैर ये सब हुई बेमतलब की बातें, अब मजेदार बात पे आते हैं कि कैसे ये इसकी भी जय जय, उसकी भी‌ जय जय कर के हर जगह अपना कारोबार चलाता है, सिर्फ़ इन तीन स्क्रीन शोट्स पे नजर डालें, जो कि गूगल इंडिया, गूगल चाइना और गूगल.कोम से लिये गये हैं -

गूगल इंडिया - J&K और भारत की सीमाओं पे ध्यान दें


















दूसरा स्क्रीन शोट है - गूगल चाइना - J&K और चाइना की सीमारेखा पे ध्यान दें -



















तीसरा स्क्रीन शोट है गूगल वर्ल्ड का या google.com का - पिछली अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखाओं से इसकी तुलना करें -



















आया कुछ समझ में कि बिजनेस कैसे किया जाता है? या विशेषकर भारत जैसे देश खुद को कैसे दिन में भी अंधेरे में रखते हैं? भारत सरकार को अपने मंत्रियों की सेक्स सीडियों से निपटने से फ़ुर्सत मिले, मीडिया को खुद के घोटालों पे ना बोलने के लिये पटाये रखने से फ़ुर्सत मिले, देश के लिये उठने वाली आवाजों को दबाने से फ़ुर्सत मिले, इटली की गुलामी से फ़ुर्सत मिले तब तो भारत सरकार भारत के लिये सोचे कुछ करे, पर अफ़सोस कभी‌ तो ये खुद को सर्वशक्तिमान समझने वाली सरकार कोर्ट को हलफ़नामा देकर कहती है कि राम काल्पनिक थे और कभी कोर्ट को कहती है कि इटली के जिन नाविकों ने भारतीय मछुआरों‌ की हत्या की उनको पकडने का केरल सरकार या भारत को अधिकार नहीं !!!

ये भारत सरकार है या माइनो परिवार का रामू काका?

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अप्रैल 04, 2012

चलाचल बाबा और मुन्नू


आजकल फ़ेशकुब पे और बला की लोगिंग पे चलाचल बाबा पे टिप्पणियां करने का फ़ैशन है, मैं कुफ़ैशनेबल क्यों रहूं? मैं सोच रहा हूं कि अगर अपने मुन्नू चलाचल दरबार में‌ जायें‌ तो उनकी क्या परेशानी होगी जो वो माइक ले के बतायेंगे?

कल्पना के घोडे दौडने शुरू हो गये हैं तो आपको भी सवारी करवा ही देता हूं -

मुन्नू: बाबा के चरणों में कोटी कोटी प्रणाम

चलाचल बाबा हाथ उठा के मुस्कुराते हैं।

मुन्नू: बाबा मैं पहले विश्व बैंक के लिये काम करता था, उनके कहने पर भारत बेच दिया तो तीनेक लाख की हर महीने पेंशन मिलती थी, पर मेरा स्विस वगैरह में कोई अकाउंट फ़िर भी नहीं था, मैं बडा कुंठाग्रस्त था, कोई काम नहीं आता था फ़िर एक दिन अचानक से कुछ ना आने के कारण ही प्रधानमंत्री बना दिया गया मुझे, सब ठीक चल रहा था बाबा कि अचानक ही सब मेरा मजाक बनाने लग गये हैं, पद छोडने का बोलते हैं, मैडम भी बोलती हैं कि मेरा छोरा आवेगा गद्दी खाली कर, मैं बहुत परेशान हूं क्या करूं बाबा ?

चलाचल बाबा: पिछली बार सच कब बोला था?

मुन्नू : बाबा बस अभी जब माइक पे आपको समस्या बताई तब बोला था।

चलाचल बाबा: नहीं उससे पहले कब बोला था?

मुन्नू: बाबा उससे पहले तो मैं मेरी शादी के समय घबरा के कभी बोला था पर उस बात को तो तीसेक साल हो गये होंगे

चलाचल बाबा: अच्छा तू करता क्या है?

मुन्नू: करता तो कुछ नहीं, पर-धन-मंत्री हूं, सब अपना अपना धन कमायें ये चुपचाप देखना होता है

ये कह के मुन्नू आगे बोलते बोलते एकदम से चुप ...

चलाचल बाबा: आगे बोल बेटा, बोलते बोलते रुक क्यों गया?

मुन्नू चुप

बाबा: अरे आगे बोल, और क्या करता है?

मुन्नू घबराता हुआ: बाबा मैं इतना बोल गया ये ही काफ़ी है, मुझे किसी भी टोपिक पे किसी भी‌ मैटर पे बोलने से मैडम ने मना कर रखा है और कह रखा है कि अगर ज्यादा ही जरूरत हो तो बस इतना ही बोलना कि "मुझे इस बारे में पता नहीं" या "मैं इस बारे में नहीं जानता" या "ठगबंधन की मजबूरी है" या "देखेंगे"

बाबा: बस इसीलिये तेरी रुक रही है, जा जाकर अपने ठगबंधन के ठगों के नाम और उनके कारनामे देश को बता दे और देख तुझे तेरी खोई (खोई कहते हुए बाबा के होठों का एक किनारा उठ गया) इज्जत कैसे वापस मिलती है, देश वाले कैसे तुझे सर आंखों पे बिठाते हैं, जा जाकर सच बोल।

मुन्नू हां बाबा बोल कर सर झुकाये लौट आया पर चलाचल बाबा ने जो करने को बोला था उसके लिये ना जाने उसने मैडम से परमिशन ली है के नहीं, शायद परमिशन नहीं मिली क्योंकि हमें अभी तक सच सुनने को भी नहीं मिला।
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